Lyrics in Hindi - लफ़्ज़ों का खेल
दर्द के रिश्ते - Dard Ke Rishtey (Hariharan, Hazir)
Movie/Album: हाज़िर (1992)
Music By: जॉली मुखर्जी
Lyrics By: अब्दुल हक अंजुम
Performed By: हरिहरन


दर्द के रिश्ते न कर डाले
उसे बेकल कहीं
हो गए इस साल भी
कुछ बस्तियाॅं जल-थल कहीं
दर्द के रिश्ते...

रात की बेरंगियों में हम बिछड़ जाएँ न दोस्त
हाथ मेरे हाथ में दे और यहाॅं से चल कहीं
दर्द के रिश्ते...

आज सूरज ख़ुद ही अपनी रोशनी में जल गया
कह रहा था राज़ की ये बात इक पागल कहीं
दर्द के रिश्ते...

ये ख़बर होती तो करता कौन बारिश की दुआ
प्यास से हम मर गए, रोता रहा बादल कहीं
दर्द के रिश्ते...